जाने क्या है केमद्रुम योग
चन्द्रमा:
सभी ग्रहों में सबसे महत्वपूर्ण ग्रह है; चन्द्रमा| इस से बनने वाले शुभ या अशुभ योग दोनों ही शक्तिशाली होते है और मानव के जीवन पर एक अमिट छाप छोड़ते है|
किसी भी कुंडली में चन्द्रमा की सुदृढ़ स्तिथि लाभप्रद होती है जबकि कमज़ोर स्तिथि संघर्ष को जन्म देती है|
वैसे तो हर ग्रह से कई शुभ और अशुभ दोनों प्रकार के योगों का निर्माण होता है पर चन्द्रमा से निर्मित योग कुछ विशेषता रखते है| आज हम समझेंगे चन्द्रमा से बनने वाले सबसे अशुभ योग केमद्रुम योग के बारे में, इस योग को केमद्रुम दोष भी कहा जाता है|
कुंडली में केमद्रुम दोष का विचार :
जब किसी कुंडली में चन्द्रमा के साथ किसी ग्रह की युति ना हो या चन्द्रमा से पहले और बारवें भाव कोई और ग्रह ना हो अर्थात अकेले चन्द्रमा के आगे और पीछे वाले घर खाली हो तब इस दुर्योग का निर्माण होता है| मोटे तौर पर केमुद्रम दोष से दूषित कुंडली वाले जातक/जातिका को जीवन में मानसिक अशांति, भय, दरिद्रता जैसे भयंकर दुखों का सामना करना पड़ता है| काफी बार केमद्रुम योग को विवादित विवाह सम्बन्धो के लिए भी जिम्मेदार माना गया है| केमद्रुम योग से प्रभावित व्यक्ति हमेशा चिंताग्रस्त, दिग्भ्रमित रहता है जिसकी वजह से गलत निर्णय ले कर खुद के जीवन को नारकीय बना लेता है|
केमद्रुम दोष के कुछ असर :
- मानसिक अशांति
- तलाक़
- भय
- दरिद्रता
- असफलता
केमद्रुम दोष हमेशा अनिष्टकारी ही हो ये जरुरी नहीं कुछ विशेष कुंडलियों में केमद्रुम दोष योगकारक भी बन जाता है| ये योग व्यक्ति को झुझारू और संघर्षशील भी बनाता है, ऐसे जातक पौरुष और संघर्ष के दम पर भाग्य का निर्माण करने में सक्षम होते है|
हांलाकि कुछ विशेष परिस्तिथियों में केमद्रुम दोष भंग भी हो जाता है इसका उल्लेख भी ज्योतिषीय ग्रंथों में मिलता है|
निम्नलिखित परिस्तिथियों में केमद्रुम दोष का परिहार हो जाता है:
- यदि कुंडली के लग्न भाव में चन्द्रमा स्तिथ हो
- यदि उच्च का चन्द्रमा दशम भाव में स्तिथ हो
- यदि चन्द्रमा शुभ ग्रहों से दृष्टि सम्बन्ध बना रहा हो
- यदि चन्द्रमा पर किसी भी अशुभ ग्रह की दृष्टि ना हो
यदि आपकी कुंडली में भी केमद्रुम योग बन रहा है तो निम्नलिखित उपाय करने चाहिए:
- भगवान शिव की नियमित आराधना करना विशेष लाभदायक है
- शरीर पर चांदी अवश्य धारण करें
- माता के चरण नियमित रूप से छूने से भी लाभ होता है, खासकर पूर्णिमा के दिन
- रुद्राक्ष की माला धारण करें
- ॐ नमः शिवाय महामंत्र का नियमित जाप करें
- असली दक्षिणावर्ती शंख को विधिपूर्वक स्थापित करवाकर, श्रीसूक्त का नियमित पाठ करना या करवाना भी लाभप्रद साबित हुआ है
- श्रद्धापूर्वक माता महालक्ष्मी के मंदिर जाना भी विशेष फलदायी है
- चांदी, दूध, दही, सफ़ेद वस्त्र आदि चन्द्रमा से जुडी हुई वस्तुओं का दान भी करना चाहिए
- स्फटिक की माला से चन्द्रमा के तांत्रिक मंत्र “ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:” मंत्र का नियमित रूप से पूरी निष्ठा के साथ १०८ बार जप करने से इस दोष की वजह से हो रही सारी समस्याओं का समाधान होता है|
आपकी कुंडली में भी ये अशुभ योग बन रहा है या नहीं इसकी जानकारी के लिए किसी विद्वान एवं अनुभवी ज्योतिषी से कुंडली की विवेचना करनी चाहिए| अगर कुंडली में इस योग का निर्माण हो रहा है तो भयभीत होने की जरुरत नहीं है, उचित ज्योतिषीय उपचार लेकर जीवन को सुखमय बनाया जा सकता है|
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श्री राम जय राम जय जय राम