गजकेसरी योग और उस से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें

गजकेसरी योग और उस से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें

ज्योतिष शास्त्रों में विभिन्न प्रकार के शुभ व् अशुभ योगों का वर्णन है, इसी श्रेणी में कुछ बहुत ही अच्छे और श्रेष्ठ योगों का उल्लेख है| गजकेसरी योग इन्ही शुभ योगों की श्रेणी में उत्तम योग माना गया है सभी ज्योतिष ग्रंथो में इसे उच्च कोटि का शुभ योग माना है|

आइये जानते है की क्या होता है गजकेसरी योग और इससे प्रभावित कुंडली वाले व्यक्ति का जीवन|

गजकेसरी योग बनता है गुरु और चंद्र के परस्पर युति से या फिर एक दूसरे के केंद्र में होने पर; अर्थात जब गुरु और चंद्र एक दूसरे से १,४,७ या १०वें भाव में हो तब कुंडली में गजकेसरी योग का निर्माण माना जाता है|

कुंडली में गजकेसरी योग निर्मित होने से जातक कुशाग्रबुद्धि, दीर्घजीवी, तेजस्वी, ओजस्वी, यशस्वी और वाक्पटु होता है एवं जीवन के समस्त सुखों को भोगता है|

गजकेसरी योग संसार की हर तीसरी कुंडली में मौजूद होता है पर हर तीसरा मनुष्य ऐसा जीवन नहीं भोगता इसीलिए गजकेसरी योग का निर्माण पूर्णरूप से होना चाहिए| गजकेसरी योग की विवेचना करते समय विद्वान ज्योतिषी, गुरु और चन्द्रमा के बल, राशि और नक्षत्र का भी विश्लेषण करते है|

गजकेसरी योग का पूर्णफलदायी होने के लिए गुरु और चन्द्रमा दोनों की स्तिथि कुंडली में शुभ होनी चाहिए यानी गुरु और चन्द्रमा दोनों को अपनी उच्च राशि या मित्र राशि में बली होकर शुभ भाव में स्तिथ होना चाहिए तभी गजकेसरी योग पूर्ण शुभ फलदायी होगा|

उदहारण के लिए यदि किसी कुंडली में शुभ गुरु के साथ अशुभ चन्द्रमा का सम्बन्ध है तो इस योग का निर्माण नहीं होगा बल्कि गुरु दूषित हो जायेगा, इसी तरह यदि अशुभ गुरु के साथ शुभ चन्द्रमा का सम्बन्ध होगा तो भी गजकेसरी का निर्माण नहीं होगा बल्कि चन्द्रमा दूषित हो जाएगा|

सम्पूर्ण रूप से गजकेसरी योग के निर्माण के लिए चन्द्रमा और गुरु दोनों का शुभ हो कर एक दूसरे से केंद्रीय सम्बन्ध बनाना जरुरी है तभी गजकेसरी योग के शुभ फल मिलेंगे|

कर्क, मीन, मेष, धनु और वृश्चिक लग्न की कुंडली में गजकेसरी योग कारक माना जाता है और इन लग्नों में इस योग के शुभत्व में कई गुना वृद्धि हो जाती है हांलाकि अकारक लग्नों में भी गजकेसरी योग शुभ फल देता है पर इन लग्नो में शुभत्व माध्यम दर्जे का होता है|

साथ ही यदि गुरु वक्री हो तो भी गजकेसरी योग के फल में कमी ला देता है| नवग्रहों में गुरु और चन्द्रमा दोनों को ही धनदायक गृह माना है, जब भी किसी कुंडली में इन दोनों धनदायक ग्रहों की युति या केंद्रीय सम्बन्ध होगा तो जातक/जातिका का धनवान होना अवश्यम्भावी होगा|

सम्पूर्ण गजकेसरी योग के लिए चन्द्रमा का केमुद्रम योग, विष योग, ग्रहण योग आदि अशुभ योगों से मुक्त होना परमावयश्क है|

जिन लोगो की कुंडली में सम्पूर्ण और शक्तिशाली गजकेसरी योग बनता है उन्हें ‘गज’ यानि हाथी के समान बलवान, समझदार और ‘केसरी’ यानी सिंह/शेर के सामान वीर, शक्तिशाली, निर्भीक और उच्च पदासीन बनाता है|

योग्य ज्योतिषी कुंडली में गजकेसरी योग की विवेचना करते समय बुध और शुक्र की स्तिथि का अवलोकन भी बारीकी से करते है ताकि सटीक फलादेश कर सके; क्योंकि कुछ ज्योतिषीय ग्रंथों में चन्द्रमा का शुक्र और बुध से सम्बन्ध का भी महत्व बताया गया है गजकेसरी योग के निर्माण में|

आपकी कुंडली में भी ये दुर्लभ शुभ योग बन रहा है या नहीं इसकी जानकारी के लिए किसी विद्वान एवं अनुभवी ज्योतिषी से कुंडली की विवेचना करानी चाहिए| अगर कुंडली में गजकेसरी योग का निर्माण तो हो रहा है किन्तु पूर्ण रूप से फलदायी नहीं है तो उचित ज्योतिषीय उपचार से सम्पूर्ण लाभ लेकर जीवन को सुखमय बनाया जा सकता है|

अच्छे ज्योतिषी से ऑनलाइन मार्गदर्शन या फिर मिलने का समय लेने के लिए website पर दिए गए नंबर कॉल कर सकते है| फॉर्म भर कर भी मार्गदर्शन ले सकते है|

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